अगर नहीं डाला वोट, तो चैलेंज न कर पाएंगे सरकार का खोट
मतदान से कन्नी काटने वाले उन आलोचकों के लिए यह सबक की खबर है। सुप्रीमकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में स्पष्ट किया है कि अगर किसी देशवासी ने वोट नहीं डाला तो उसे सरकारी सिस्टम का खोट निकालने का भी कोई अधिकार नहीं है।
एक ताजा मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी सिस्टम में खोट निकालने वाले याचिकाकर्त्ता को कड़े शब्दों में इसकी ताकीद की। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर आप वोट नहीं डालते तो आपको सरकार से सवाल करने या उसे दोष देने का 'कोई हक नहीं’ है। याची ने देश में अतिक्रमणों को हटाने के लिए शीर्ष कोर्ट से एक व्यापक आदेश देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान याची ने स्वीकार किया कि उसने कभी भी वोट नहीं डाला, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अतिक्रमण से जुड़े मामले में व्यापक आदेश जारी नहीं कर सकता क्योंकि यह मामला राज्यों से जुड़ा है।
उन्होंने कहा, ''आप सरकार को हर चीज के लिए दोष नहीं दे सकते। अगर कोई व्यक्ति मतदान नहीं करता है तो उसे सरकार से सवाल करने का कोई हक नहीं है।’’ जस्टिस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति एन.वी. रामन्ना और डी.वाई. चंद्रचूड़ शामिल थे। पीठ ने दो टूक कहा कि शीर्ष कोर्ट का दिल्ली में बैठकर अतिक्रमणों पर ध्यान देना संभव नहीं है और जब भी याचिकाकर्ता सड़कों या फुटपाथ पर इस तरह का अतिक्रमण देखे, तो मामलों को वह क्षेत्रीय हाईकोर्ट्स के ध्यानार्थ करें। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता हाईकोर्ट का रूख नहीं करेगा तो उसे लगेगा कि वह उच्चतम न्यायालय महज प्रचार के लिए आया है।